सती बिहुला बाला लोखिंदर का घटना स्थल एवं इतिहासिक स्थान बंगाली टोला चम्पानगर भागलपुर

 



विशेष रूप से दलित जातियों में प्रचलित सती बिहुला की लोकगाथा अब अपनी जातीय सीमाओं से परे पूरे बिहार में पसंद की जाती है। यह कहानी सामाजिक व्यवस्था में महिलाओं के समर्पण और महत्त्व को रेखांकित करती है। बिहार के अतिरिक्त बिहुला की कथा का उत्तर प्रदेश तथा बंगाल में भी प्रचार पाया जाता है। संक्षेप में इसकी कथा निम्नांकित है-

"चन्दू साहू नामक एक प्रसिद्ध सौदागर था। इसके लड़के का नाम बाला लखन्दर था। यह रूप-यौवन से सम्पन्न तथा सुन्दर युवक था। अवस्था प्राप्त होने पर इसका विवाह सम्बन्ध 'बिहुला' नामक एक परम सुन्दरी कन्या से किया गया। चन्दू साहू के 6 लड़के विवाह के अवसर पर कोहबर में साँप के काटने से मर चुके थे। अत: बाला लखन्दर के विवाह के समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि पूर्व दुर्घटना की पुनरावृत्ति न होने पाये। इस विचार से ऐसा मकान बनाने का निश्चय हुआ, जिसमें कहीं भी छिद्र न हो।[३]

विषहरी नामक ब्राह्मण, जो चन्दू सौदागर से द्वेष रखता था, बड़ी ही दुष्ट प्रकृति का व्यक्ति था। उसने मकान बनाने वाले कारीगरों को घूस देकर उसमें सर्प के प्रवेश करने योग्य एक छिद्र बनवा दिया। बिहुला भी इस दुर्घटना को रोकने के लिए बड़ी सचेष्ट थी। उसने अपने मायके से पहरेदार भी चौकसी रखने के लिए बुलवाये थे। विवाह के पश्चात् जब वह बाला लखन्दर के शयनकक्ष में गयी तो देखा कि वह अचेत सो रहा है। बिहुला ने सर्पदंश से रक्षा के लिए उसकी चारपाइयों के चारों पायों में कुत्ता, बिल्ली, नेवला तथा गरुड़ को बाँध दिया और स्वयं चौकसी करती हुई बाला लखन्दर के सिरहाने बैठ गयी। जिस कमरे में बाला लखन्दर सो रहा था, उसमें प्रकाश के लिए नौ मन तेल का अखण्ड दीपक जल रहा था।

दुर्भाग्य से कुछ देर बाद बिहुला को भी नींद लगने लगी और बाला लखन्दर के पास ही वह सो गयी। इसी बीच में विषहरी ब्राह्मण के द्वारा भेजी गयी एक नागिन आयी और उसने बाला लखन्दर को डँस लिया। जब प्रात:काल बिहुला की नींद खुली तो वह देखती है कि इसका पति मरा पड़ा है। उसकी लाश को देखलर उसने बड़ा करुण क्रन्दन किया और अपने भाग्य पर पश्चात्ताप करने लगी। बाला लखन्दर के परिवार में शोक की लहर दौड़ जाती है और पूरा परिवार बिहुला को ही अपशकुन मानता है। बिहुला अपने पति का शव लेकर गंगा में कूद जाती है। गंगा में ही उसकी मुलाकात इंद्र की धोबन से होती है। वह उससे मौसी का रिश्ता बनाकर इंद्रलोक पहुंच जाती है। एक दिन धोये कपड़े की चमक से इंद्र को खुश कर देती है। इस पर इंद्र बिहुला को दरबार बुलाते हैं। बिहुला दरबार पहुंचती है और अप्सराओं के नृत्य पर टिप्पणी करती है। इंद्र उसे नृत्य का अवसर देते हैं और बिहुला के नृत्य से खुश होकर उसे वरदान मांगने को कहते हैं। बिहुला अपने पति और उसके भाइयों को जीवित करने का वरदान मांगती है।[३] 









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