जगन्नाथ रथयात्रा एक मुस्लिम मज़ार के सामने क्यों रुकता है | दिलचस्प किस्सा Jagannath Rath Yatra 2022
मज़ार पर क्यों रुकता है भगवान का रथ?
रिपोर्ट के मुताबिक, जब रथ ग्रैंड रोड पर लगभग 200 मीटर आगे जाता है, तो यहां दाहिनी ओर एक मज़ार पड़ती है. यहां रथ आते ही थोड़ी देर के लिए रोक दिया जाता है. इसके मुगल काल से चली आ रही एक मान्यता है.
जहांगीर कुली खान, जिसे लालबेग के नाम से भी जाना जाता है, मुगल सम्राट जहांगीर के शासनकाल के दौरान एक वर्ष (1607-1608) के लिए बंगाल का सूबेदार था. उसने अपनी एक सैन्य यात्रा के दौरान रास्ते से गुज़र रही विधवा ब्राह्मण महिला से शादी कर ली. दोनों के सालबेग नाम का एक बेटा हुआ. सालबेग की मां भगवान जगन्नाथ की परम भक्त थीं. सालबेग (Bhakta Salabega) अपनी मां के काफ़ी क़रीब थे, तो वो भी भगवान जगन्नाथ को पूजने लगे.
सालबेग को भगवान जगन्नाथ को काफ़ी मानते थे. मगर उन्हें धार्मिक वजहों से कभी मंदिर में प्रवेश नहीं मिल पाया. इस बात का उन्हें काफ़ी दुख पहुंचा. ऐसे में सालबेग काफ़ी दिन तक वृंदावन में रहे.
कहते हैं कि सालबेग जब भगवान जगन्नाथ की यात्रा (Lord Jagannath Rath Yatra) में शामिल होने ओडिशा पहुंचे, तो बीमार पड़ गए. सालबेग के शरीर में बिल्कुल भी ताकत नहीं बची, तो उन्होंने भगवान से प्रार्थना कर उनसे बस एक बार दर्शन देने की इच्छा जताई. कहा जाता है कि सालबेग की प्रार्थना का असर हुआ और भगवान जगन्नाथ ख़ुश हो गए. जब यात्रा शुरू हुई, तो रथ सालबेग की कुटिया के सामने अचानक रुक गया और आगे नहीं बढ़ा. इस तरह भगवान जगन्नाथ ने अपने परम भक्त को पूजा करने की अनुमति दी.
बता दें, आज भी यही परंपरा चली आ रही है. भगवान के रथ को सालबेग की मज़ार के आगे थोड़ी देर के लिए रोका जाता है.
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