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आज का ताजा अपडेट Latest Update...

आँखे क्यों लाल हो रही लोगो conjunctivitis Virus

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  कंजक्टिवाइटिस (आई फ्लू) लंबे समय से एक मानसून में होने वाली बीमारी रही है. भारत में आमतौर पर बारिश के मौसम में इसके मामले बढ़ते हैं. हाल ही में खबर आई है कि देशभर के कई राज्यों में कंजक्टिवाइटिस के केस बढ़ रहे हैं और लोग इससे काफी परेशान हैं. दिल्ली एनसीआर की बात करें तो वहां भी कंजक्टिवाइटिस के मामले बढ़ने लगे हैं और दिल्ली एम्स में रोजाना 100 से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं. कंजक्टिवाइटिस क्या है, कैसे पनपता है और इससे बचाव के क्या तरीके हैं. इस बारे में भी जान लीजिए.  कंजक्टिवाइटिस क्या है बेंगलुरु में फोर्टिस हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. आदित्य एस. चौती के मुताबिक, 'कंजक्टिवाइटिस, कंजंक्टिवा (आंख का सफेद हिस्सा) की सूजन है. कंजक्टिवाइटिस के वातावरण में बैक्टीरिया या वायरल होते हैं. कभी-कभी लोगों को यह एलर्जी की प्रतिक्रिया के माध्यम से भी हो सकता है.' कंजक्टिवाइटिस कैसे फैलता है, कंजक्टिवाइटिस कुछ मामलों में बेहद संक्रामक हो सकता है और पहले से ही संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है. बीमारी फैलने का सबसे आम तरीका यह है कि जब संक्रमित लोग बार-बार अपनी आंख...

T-Shirt में ‘T’ का क्या मतलब होता है,

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  आम लोगों की पहली पसंद T-Shirt में ‘T’ का मतलब जानने से पहले इसका इतिहास जान लेते हैं. 19वीं सदी में T-Shirt की शुरुआत अंडरवेयर के तौर में हुई थी. लेकिन 20वीं सदी के मध्य में ये अंडरवेयर से आगे बढ़कर सामान्य उपयोग वाले कपड़ों में परिवर्तित हो गई. तब ये ‘टॉल शर्ट’ के रूप में जानी जाती थी, जिसकी लेंथ घुटने तक होती थी. लेकिन 20वीं सदी के अंत में जब इसने पॉप कलचर में एंट्री मारी तो इसे T-Shirt कहा जाने लगा. आगे और पढ़े  

बेवफ़ा समोसे वाला

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  मध्य प्रदेश के रीवा शहर में स्थित ये दुकान अपने अनोखे नाम की वजह से इन दिनों काफ़ी मशहूर हो गई है. कुछ लोग प्यार में धोखा खाने के बाद IAS, IPS बन जाते हैं, लेकिन रीवा के रहने वाले विनीत तिवारी ने समोसे की दुकान खोलना बेहतर समझा. प्राइवेट नौकरी छोड़ने के बाद जब प्यार में धोखा मिला तो विनीत ने रीवा के समन तिराहा स्थित आदित्य होटल के पास ‘बेवफ़ा समोसा वाला’ नाम से दुकान खोल ली. पढ़ना जारी रखें

Jawa Yezdi: बाइक जिसे लोग कहते थे ‘काली घोड़ी’

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  जब Yezdi बाइक ‘काली घोड़ी’ के नाम से हुई मशहूर Yezdi बाइक का ऐसा क्रेज़ था कि आम आदमी से लेकर फ़िल्मी हीरो तक इसके दीवाने थे. 1981 में रिलीज़ हुई कॉमेडी फ़िल्म ‘चश्मे बद्दूर’ में रुस्तम शेख का एक डॉयलॉग था-  ‘काली घोड़ी द्वार खड़ी’ . शेख ने  ‘काली घोड़ी‘  इसी Yezdi बाइक को कहा था. इसके बाद से ही Yezdi को  ‘काली घोड़ी’  के नाम से जाना जाने लगा.                     पढ़ना जारी रखें...  

बर्फ़ पानी में तो तैरती रहती है, पर शराब में डूब जाती है, क्या है कारण

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  एक रिपोर्ट्स के अनुसार, विज्ञान से समझाया गया है कि विज्ञान कहता है कि अगर किसी द्रव का घनत्व पदार्थ से ज़्यादा होगा तो वो पदार्थ उस द्रव में डूब जाएगा. आसान शब्दों में, पानी का घनत्व 1.0 प्रति घन सेंटीमीटर होता है और बर्फ़ का घनत्व 0.917 प्रति घन सेंटीमीटर होता है इसलिए पानी से कम घनत्व होने की वजह से बर्फ़ पानी में तैरती है. वहीं दूसरी तरफ़ एल्कोहल का 0.789 प्रति घन सेंटीमीटर, जिससे बर्फ़ का घनत्व ज़्यादा है इसलिए बर्फ़ इसमें डूब जाती है.

200 साल पुराना 🔥 रहस्यमयी जिछो नदी का इतिहास Bhagalpur Bihar

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  Watch Video बिहार के भागलपुर जिले में गोराडीह सड़क के किनारे बसे जिच्छो पोखर जो की एक प्राचीन पोखर है, यह पोखर करीब 200 साल पुराना है,  लोगो मे इस पोखर को लिए एक बहुत बड़ी धार्मिक स्थल  है, कहने मे वैसे तो ये पोखर है लेकिन इसकी मान्यता एक गंगा से भी बढ़कर दिया गया है,  और तब से ही इसकी मान्यता बहुत बड़ी है, लोगो मे इस पोखर को लेकर एक अटूट विश्वास बना हुआ है, इस पोखर को जिच्छो मैया नाम दिया गया है, और भक्तो का कहना है की इस पोखर से लोगो का जो भी मन्नत होता है, जिच्छो मैया उनके मन्नत को जरूर पूरा करते है, सभी भक्तो की जो जिसकी जैसे मन्नत होता है वैसे ही मांगते है, और मन्नत पूरा होने के बाद भक्त वापस चढ़ावे के साथ पोखर पर आते है, और जिच्छो मैया को  पूरी शरधा के साथ चढ़ावा चढ़ाते है, 200 साल पहले की बात करे तो, यहाँ पर जिच्छो पोखर के सिवाय और कुछ नही था, सिर्फ पोखर ही हुआ करता था, लेकिन जैसे जैसे लोगो मे शरधा भाव बढ़ता गया वैसे ही पोखर के आस पास सुविधाएं होती गई, चलिए  जानते है आज के समय मे इस पोखर के आस पास क्या क्या सुविधाएं है, इस पोखर के पास एक दुर्गा मंद...

200 साल पुराना है मेंढक मंदिर Frog Shiv Temple in Uttar Pradesh

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 लखीमपुर खीरी जिले के ओयल कस्बे में स्थित इस मंदिर को ‘मेंढक मंदिर’ भी कहा जाता है. देश में ये एकलौता ऐसा मंदिर हैं, जहां भगवान शिव मेंढक पर विराजमान हैं और उनके साथ मेंढक की भी लोग पूजा करते हैं. बताते हैं कि मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना है. Frog Temple In Uttar Pradesh Lakhimpur Kheri मान्यता है कि सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए इस मंदिर का निर्माण ओयल शासकों ने कराया था. इस कस्बे के बीच मंडूक यंत्र पर आधारित प्राचीन शिव मंदिर है. ये क्षेत्र ग्यारहवीं शताब्दी के बाद से 19वीं शताब्दी तक  चाहमान शासकों के आधीन रहा है. चाहमान वंश के राजा बख्श सिंह ने ही इस अद्भुत मंदिर का निर्माण करावाया था.                           आगे और पढ़े.....